Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -19-Jul-2022..... मानसून स्पेशल...बरसातकी रात..

बरसात की रात... (6) 


वर्तमान समय...... 

काले घने बादल... कड़कती बिजली के साथ आज बारिश अपने पूरे जोश में थीं...। 
दो वर्ष पूर्व ऐसी ही बारिश ने कान्ता का सब कुछ छीन लिया था...। 
आज खिड़की से झांकती हुई रुही की नहीं बल्कि कांता की नजरें थीं...। 
आसमान से बरसती पानी की बुंदों के साथ साथ उसकी आंखों से भी अश्कों की धार बढ़ती जा रहीं थीं..। 
रोते रोते वो फिर से अपने अतित में चलीं गई....। 


दो वर्ष पूर्व.... 

जय और विजय विकास के घर.... 
यार रुही ने तो मना कर दिया...। 

जानता हूँ.... लेकिन अभी तुम लोग यहाँ से जाओ.... आज मेरा दिमाग बहुत गर्म हैं....। 

जय :- क्या बात हैं यारा.... बता तो हमको...,। 

विकास :- मैंने कहा ना तुम लोग जाओ अभी यहाँ से...। 

जय :- ठीक हैं जा रहे हैं...। जब तेरा दिल करें बता देना...। 


जय और विजय विकास के कमरे से बाहर आकर रामसिंह के पास गए..। 

(रामसिंह विकास का अंगरक्षक) 

अरे रामसिंह... तेरे सेठ को क्या हुआ हैं आज.... हमको भगा दिया... इतना क्यूँ गर्म हैं.. । किससे बिगड़ कर आया हैं आज...। 

अरे वो प्रकाशबाऊ हैं ना अपणे.... 

प्रकाश.... कोण प्रकाश...! 

अरे वो तमारे कालेज की छोरी ना हैं रुही... उसका बाप छे न प्रकाश...। 

ओहह....अच्छा....। लेकिन हुआ क्या...! 

अरे बारिश हो रहीं थीं...। साहब अपनी जीप से आ रहे थे घर को...। रास्ता मा जो किचड़ छे ना... वो प्रकाश बाऊ के उपर उड़ गया...। इस बात पर दोनों में घणी कहासुनी हो गई...। बात गालीगलौज तक आ गई थीं...। इतने में बड़े साहब की गाड़ी भी वहा से गुजरी तो उन्होंने सब शांत करवाया और वो बड़े साहब ने प्रकाश बाऊ से माफी भी मांगी... । छोटे साहब इसी बात से तिलमिलाए हुवे हैं....। 


ओहह....अच्छा....। ठीक हैं उसे थोड़ा शांत होने देते हैं फिर बात करते हैं...। तब तक हम यहीं इंतजार करते हैं...। 


जय और विजय.... कुछ देर वही बैठे रहें और खान पान करने लगे..। उन दोनों का यहाँ आना ओर इस तरह से ठेरा जमाकर बैठना कोई नई बात नहीं थीं..। वो दोनों अक्सर विकास के घर आतें रहते थें...। हालांकि बडे़ साहब को उनका इस तरह बैठना पसंद नहीं था पर विकास की वजह से वो कुछ कहते नही थें... क्योंकि विकास बहुत गर्म दिमाग का शख्स था... उसके अपने गुस्से पर बिल्कुल काबू नहीं था...। गुस्से में वो आए दिन लोगों से भिड़ता रहता था फिर मारपीट ओर गालीगलौज भी करता था...। 


कुछ देर बाद वे दोनों विकास के कमरे में फिर से गए....। विकास एक आराम कुर्सी पर आसमान की तरफ सिर किए गहरी सोच में डूबा हुआ था..। 
उन दोनों के भीतर आतें ही विकास बोला :- प्रकाश ने यह सही नहीं किया...। उसका ये गुरूर मुझे तोड़ना ही हैं...। ऐसा सबक सिखाऊंगा की सड़क पर चलना भूल जाएगा...। साले की टांगे तोड़ दूंगा.... लट्ठ मार मार कर....। 

जय :- विकी.... चिल्ल कर यार.... सबक सिखाने का रास्ता मैने ढुढ़ लिया हैं बस तुम हां कर दे तो.... एक तीर से दो निशाने लग सकते हैं...। 

कौनसा रास्ता.... बता....। 

बताऊंगा.... पर पहले तु वादा कर गुस्सा नहीं करेगा...। ठंडे दिमाग से काम लेगा...। मेरी कही बात को अच्छे से पहले सोचना फिर उसके बाद जैसा तुझे सही लगे...। 

ऐसी भी क्या बात हैं... तु बोल तो...। 

नहीं यार पहले तु वादा कर... तेरे गुस्से से मैं अच्छे से वाकिफ हूँ... कहीं सुनकर तु मुझे ही उल्टा ना लटका दे...। 

तु पागल हैं क्या जय...अरे तुम दोनों तो मेरी जान हो...। 
चल ठीक हैं.... तेरा डर दूर करने के लिए.... ले वादा करता हूँ.... बस... तेरी बात सुनुंगा.... सोचूंगा... फिर फैसला लूंगा...। 


ये हुई ना यारों वाली बात...। अच्छा तो अब सुन... 



क्रमशः...................................................... 




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3 Comments

shweta soni

08-Aug-2022 01:17 PM

Nice part 👌

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MR SID

08-Aug-2022 10:25 AM

Shaandar

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Gunjan Kamal

03-Aug-2022 10:37 AM

शानदार भाग

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